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Sunday, September 3, 2023

चांद को तो बख्श दो! टूथब्रश, दस्ताना, मलबा... इंसानों ने छोड़ा 200 टन कचरा, जिम्मेदारी किसकी?

 चांद को तो बख्श दो! टूथब्रश, दस्ताना, मलबा... इंसानों ने छोड़ा 200 टन कचरा, जिम्मेदारी किसकी?


Garbage on Moonविकासशील देशों में इंटरनेट पहुंचाने पृथ्वी पर कृषि और जलवायु की निगरानी करने सहित कई जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से उपग्रह लांच किए जा रहे हैं। मानव अब पृथ्वी से परे अंतरिक्ष और दूसरे ग्रहों तक पहुंच बना रहा है।इससे अंतरिक्ष में भीड़ बढ़ने लगी है।इसकी वजह से अंतरिक्ष में कचरे का अंबार भी बढ़ रहा है जिसके लिए जवाबदेही किसी की तय नहीं है।
चांद पर मिला है 200 टन कचरा

HIGHLIGHTSचांद पर मिला 200 टन कचरा
कई टन मलबा पृथ्वी से सैकड़ों मील ऊपर अंतरिक्ष में तैरते हैं
अंतरिक्ष में बढ़ रहा है कचरे का अंबार
चांद हमेशा से अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। चांद के इस खूबसूरती का लोग दुहाई देते हैं। इस खूबसूरत गोले के बारे में जानने के लिए लोग चांद पर चढ़ाई कर रहे हैं। जहां भारत ने अभी चंद्रयान-3 को लॉन्च किया उसी तरह हर साल कई देश चांद के अध्ययन के लिए तेजी से उपग्रह लांच कर रहे हैं। इस वजह से अब चांद पर भी कचरे का अंबार बन रहा है।

कबाड़ के छोटे-छोटे टुकड़े शायद कोई बड़ा मुद्दा न लगें लेकिन वह मलबा 24,140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रहा है जो एक गोली से 10 गुना तेज है। उस गति से पेंट का एक टुकड़ा भी एक स्पेससूट को छेद सकता है। टकराव की स्थिति में यह किसी उपग्रह या अंतरिक्ष यान को महत्वपूर्ण क्षति पहुंचा सकता है।

1978 में नासा के विज्ञानी डोनाल्ड केसलर के अनुसार परिक्रमा कर रहे मलबे के टुकड़ों के बीच टकराव से अधिक मलबा बनता है। इससे मलबे की मात्रा तेजी से बढ़ती है, जो संभावित रूप से पृथ्वी के निकट की कक्षा को अनुपयोगी बना सकती है। विशेषज्ञ इसे ‘केसलर सिंड्रोम’ कहते हैं।


चांद पर 200 टन कचरा जिम्मेदारी किसी की तय नहीं

विकासशील देशों में इंटरनेट पहुंचाने, पृथ्वी पर कृषि और जलवायु की निगरानी करने सहित कई जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से उपग्रह लांच किए जा रहे हैं। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मानव अब पृथ्वी से परे अंतरिक्ष और दूसरे ग्रहों तक पहुंच बना रहा है। इससे अंतरिक्ष में भीड़ बढ़ने लगी है। इसकी वजह से अंतरिक्ष में कचरे का अंबार भी बढ़ रहा है जिसके लिए जवाबदेही किसी की तय नहीं है।



पृथ्वी की कक्षा में अव्यवस्था में निष्क्रिय अंतरिक्ष यान, बेकार राकेट बूस्टर और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा छोड़ी गई वस्तुएं जैसे दस्ताना, रिंच और टूथब्रश शामिल हैं। इसमें पेंट के टुकड़े जैसे मलबे के छोटे टुकड़े भी शामिल हैं। ये मलबा पृथ्वी से सैकड़ों मील ऊपर अंतरिक्ष में तैरते हैं। विशेषज्ञों ने इस कबाड़ से भविष्य में होने वाले खतरों के प्रति अगाह किया है।
जिम्मेदारी किसी की तय नहीं

1967 की संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष संधि के अनुसार कोई भी देश चंद्रमा या उसके किसी भी हिस्से का स्वामित्व नहीं कर सकता है और आकाशीय पिंडों का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। हालांकि संधि में इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग कैसे किया जा सकता है और कैसे नहीं। 1979 के संयुक्त राष्ट्र चंद्रमा समझौते में माना गया कि चंद्रमा और उसके प्राकृतिक संसाधन मानवता की साझी विरासत हैं।

हालांकि अमेरिका, रूस और चीन ने इस पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए। अंतरिक्ष कबाड़ से जुड़ी किसी व्यस्थित कानून का न होना और अंतरिक्ष अन्वेषण में आगे निकलने की होड़ का मतलब साफ है कि अंतरिक्ष कबाड़ और कचरा जमा होता रहेगा, साथ ही संबंधित समस्याएं और खतरे भी।

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