भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, गोपीनाथ बोलीं- 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए करने होंगे जतन
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की उप-प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। लेकिन 2047 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से विकास को और तेज करने के लिए पिछले दशक के मुकाबले कहीं अधिक बड़े संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता होगी।
गोपीनाथ बोलीं- 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए भारत को करने होंगे जतन
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की उप-प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। लेकिन, 2047 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से विकास को और तेज करने के लिए पिछले दशक के मुकाबले कहीं अधिक बड़े संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता होगी।
वे यहां वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठख में बोल रही थीं। बैठक की शुरुआत दिग्गज फुटबॉलर डेविड बेकहम और दो अन्य को प्रतिष्ठित क्रिस्टल पुरस्कार से सम्मानित करके की। व्यवसाय जगत के दिग्गजों, उद्योपतियों, शिक्षा, कला और संस्कृति तक के क्षेत्रों के शीर्ष वैश्विक नेताओं के सबसे बड़े संगम में भाग लेने के लिए कई भारतीय नेता भी यहां पहुंचे हैं।
चीन अपनी समस्याओं का सामना कर रहा है
गोपीनाथ ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था 3.3 प्रतिशत की स्थिर गति से बढ़ रही है, लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच मतभेद हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत है, जबकि यूरोप चुनौतियों का सामना कर रहा है। चीन अपनी समस्याओं का सामना कर रहा है और उसे अपने संपत्ति क्षेत्र को संबोधित करने और घरेलू मांग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
इस मौके पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष और सीईओ बोर्ज ब्रेंस ने कहा कि यह बैठक हमारे दौर के सबसे अनिश्चित क्षणों में हो रही है क्योंकि नई भू-आर्थिक, भू-राजनीतिक और तकनीकी ताकतें हमारे समाजों को नया रूप दे रही हैं।
भारत में रोजगार बाजार को बढ़ावा देने की जरूरत
आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर बहुत अच्छा काम करने के लिए मोदी सरकार की सराहना की और उम्मीद जताई कि आगामी बजट में रोजगार बाजार को बढ़ावा देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का 85 के स्तर तक पहुंचना किसी घरेलू कारक की बजाय अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने की वजह से है। भारत छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है जो वास्तव में बहुत अच्छा है। लेकिन, जब हम प्रति व्यक्ति आंकड़ों को देखते हैं तो इसे और अधिक तेजी से बढ़ने की जरूरत है।
निराशावाद या नकारात्मकता के लिए कोई जगह नहीं
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के संस्थापक एवं अध्यक्ष क्लास श्वाब ने कहा कि हमारे समाज पर भरोसा बहाल किया जाना चाहिए, जबकि निराशावाद और नकारात्मकता को व्यावहारिक कदमों से बदला जाना चाहिए। विश्व के नेता ऐसे समय में एक साथ आ रहे हैं, जब दुनिया गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। बेहतर भविष्य के लिए सहयोग जरूरी है।
दुनिया को तार्किक युग के लिए तैयार करने के लिए एक मजबूत वैश्विक साझेदारी भी नितांत आवश्यक है। इस अवसर पर विश्व आर्थिक मंच ने भारत सहित 13 देशों के 15 संगठनों के 18 सामाजिक उद्यमियों और नवप्रवर्तकों के लिए श्वाब फाउंडेशन पुरस्कारों की घोषणा की। अवंती फेलो के अक्षय सक्सेना, आरसीआरसी के वेद आर्य श्वाब फाउंडेशन पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में शामिल हैं।
दावोस के विश्व आर्थिक मंच पर भारतीय नेताओं का जमावड़ा
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान, केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी, केरल के उद्योग मंत्री पी राजीव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी इस वैश्विक आयोजन में शिरकत की है। नायडू ने कहा कि भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में सही समय पर सही नेता मिला है और वह देश को विभिन्न आर्थिक और सामाजिक मापदंडों पर शीर्ष पर ले जाएंगे। भारत मंडप, तेलंगाना मंडप और 'स्वर्ण आंध्र 2047' आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
पासवान ने कहा कि भारतीय प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विकास की अपार संभावनाएं हैं। जयंत चौधरी ने कहा कि भारतीय, श्रमिक नेतृत्व की भूमिकाओं सहित हर जगह अपनी योग्यता साबित करते हैं। सफलता की यह कहानी वैश्विक मंच पर और आगे बढ़ेगी। आधिकारिक उद्घाटन समारोह से कुछ समय पहले ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं ने बैठक के मुख्य हॉल के बाहर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
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