देश को एक विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने की कल्पना ग्रामीण भारत से होकर गुजरेगी
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था एक बदलाव के दौर से गुजर रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास अक्सर कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के प्रभुत्व वाली अर्थव्यवस्था में बदलाव के बाद होता है। भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसकी योजना GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के योगदान को मौजूदा 17% से बढ़ाकर चीन के मौजूदा स्तर के अनुरूप 30-32% तक ले जाने की है।
आज भारत में 41.5% कार्यबल अभी भी कृषि में लगा हुआ है।
अगर कोई भारत में तेजी से विकास का दावा कर रहा है और अगले दो दशकों में देश को एक विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने की कल्पना करता है, तो इस यात्रा का मार्ग निस्संदेह ग्रामीण भारत से होकर गुजरेगा। यहां देश की लगभग दो-तिहाई आबादी रहती है, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 46% का योगदान करती है।
ऐसे आंकड़े प्रति व्यक्ति आय के विस्तार की संभावना को दर्शाते हैं क्योंकि जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और डिस्पोजेबल आय बढ़ रही है। बढ़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था विवेकाधीन उत्पादों (discretionary products) की मांग को बढ़ाएगी, बाजार का विस्तार करेगी और अंततः कॉर्पोरेट आय में वृद्धि का कारण बनेगी।
सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं शुरू करके इस बदलाव के लिए खुद को उत्प्रेरक के रूप में स्थापित किया है। इन पहलकदमियों का उद्देश्य कृषि पर निर्भर लोगों के लिए ग्रामीण जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।
इतिहास और अंतरराष्ट्रीय अनुभव एक समान कहानी बताते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास अक्सर कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के प्रभुत्व वाली अर्थव्यवस्था में बदलाव के बाद होता है। भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसकी योजना GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के योगदान को मौजूदा 17% से बढ़ाकर चीन के मौजूदा स्तर के अनुरूप 30-32% तक ले जाने की है।
आज भारत में 41.5% कार्यबल अभी भी कृषि में लगा हुआ है, फिर भी यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में केवल 16% का योगदान देता है। सरकार द्वारा मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया जाना ग्रामीण सकल घरेलू उत्पाद के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इसे 'मेक इन इंडिया', Production-Linked Incentive स्कीम और नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी जैसे कार्यक्रमों से बल मिला है। इन प्रयासों के तहत नई विनिर्माण परियोजनाओं ने वित्त वर्ष 2020 में ₹3.8 ट्रिलियन से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में ₹13.2 ट्रिलियन तक की छलांग लगाई है।
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था एक बदलाव के दौर से गुजर रही है। ग्रामीण प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है। उपभोग में तेजी के लिए यह एक निर्णायक मील का पत्थर है, जो एक महत्वपूर्ण आर्थिक बदलाव के लिए मंच तैयार करता है। शहरी भारत ने वित्त वर्ष 2012 में यह मील का पत्थर हासिल किया था। इस बदलाव ने कंपनियों के लिए राजस्व वृद्धि और मार्जिन विस्तार को बढ़ावा दिया।
ग्रामीण विकास की थीम पर निवेश करने के इच्छुक निवेशक ICICI Prudential Rural Opportunities Fund पर विचार कर सकते हैं। यह ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम ग्रामीण भारत के विकास को आगे बढ़ाने और उससे लाभ उठाने वाले सेक्टर्स/कंपनियों पर केंद्रित है। न्यू फंड ऑफर (NFO) 9 जनवरी से 23 जनवरी, 2025 तक खुला है।
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Tuesday, January 21, 2025
देश को एक विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने की कल्पना ग्रामीण भारत से होकर गुजरेगी
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