कश्मीर की चाहत में तबाह हुई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, सीधे युद्ध नहीं जीत सका तो रची खौफनाक साजिश; आज खुद परेशान - KRANTIKARI SAMVAD

Breaking

Post Top Ad

Friday, March 7, 2025

कश्मीर की चाहत में तबाह हुई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, सीधे युद्ध नहीं जीत सका तो रची खौफनाक साजिश; आज खुद परेशान

 कश्मीर की चाहत में तबाह हुई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, सीधे युद्ध नहीं जीत सका तो रची खौफनाक साजिश; आज खुद परेशान


भारत से अलग होने के बाद से पाकिस्तान कश्मीर राग आलपता है। सीधे युद्ध के बाद उसने घाटी में आतंकी साजिश रची मगर मुंह की खानी पड़ी। कश्मीर चाहत में पड़ोसी मुल्क पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह कर बैठा। आज हाल यह है कि वह कर्ज की किस्तों को चुकाने की खातिर नया कर्ज लेने की जुगाड़ में लगा रहता है। पाकिस्तान का यह हाल कैसे हुआ... आइए समझते हैं।

कश्मीर की चाहत ले डूबी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था।
जागरण, नई दिल्ली। कश्मीर हासिल करने की चाहत में पाकिस्तान भारत से तीन युद्ध लड़ चुका है। तीनों में उसे मुंह की खानी पड़ी। आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और वह बेलआउट पैकेज के सहारे खुद को डिफाल्ट होने से बचा रहा है।

गुलाम कश्मीर में भी पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह की आग सुलग रही है और वहां के लोग आजाद कश्मीर की तरक्की देख कर भारत के साथ आना चाहते हैं। आइये जानते हैं कि गुलाम कश्मीर कैसे पाकिस्तान के कब्जे में चला गया और पाकिस्तान की बर्बादी इससे कैसे जुड़ी हुई है?

पाकिस्तान का कश्मीर पर हमलाभारत की आजादी से पहले कश्मीर एक अलग रियासत हुआ करती थी। यहां डोगरा राजपूत वंश के राजा हरि सिंह का शासन था। कश्मीर में मुसलमानों की आबादी अधिक थी। ऐसे में पाकिस्तान का मानना था कि कश्मीर पर उसका हक है। उसने कश्मीर रियासत का विलय करने के लिए हरि सिंह पर दबाव डाला।



कामयाबी न मिलने पर 1948 में पाकिस्तान की सेना ने कबायलियों के वेश में कश्मीर पर हमला कर दिया। इसके बाद हरि सिंह ने भारत से सैन्य मदद मांगी और भारत में विलय करने का फैसला किया।

भारतीय सेना ने लहराया जीत का परचम

भारत सरकार के आदेश पर सेना कश्मीर पहुंची और श्रीनगर तक पहुंच चुके कबायलियों को पीछे ढकेलना शुरू किया। सैन्य साजो सामान की कमजोर आपूर्ति और नक्शों की कमी के बावजूद भारतीय सेना ने अगले कुछ महीनों में दो तिहाई कश्मीर को अपने कब्जे में ले लिया। इस बीच कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र पहुंचा और पांच जनवरी 1949 को युद्ध विराम का एलान कर दिया गया।

तय हुआ कि युद्धविराम के वक्त जो सेनाएं जिस हिस्से में थीं उसे ही युद्ध विराम रेखा माना जाए। यही आज की नियंत्रण रेखा यानी एलओसी है। इस तरह से कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया, जिसे गुलाम कश्मीर कहा जाता है। इस हिस्से में गिलगिट- बाल्टिस्तान,मीरपुर, मुजफ्फराबाद जैसे क्षेत्र आते हैं।


पाकिस्तान ने चुनी बर्बादी की राहआजादी के बाद भारत एक तरफ तरक्की की राह पर आगे बढ़ा, वहीं पाकिस्तान ने अपने संसाधन दुनिया भर से हथियार जुटाने में लगाए जिससे वह कश्मीर पर कब्जा कर सके। अमेरिका से मिले अत्याधुनिक हथियारों के साथ उसने 1965 में भारत पर फिर हमला किया। इस युद्ध में भी भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाया और अमेरिकी पैटन टैंकों को तबाह करके पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।




1999 में रची कारगिल की साजिश1999 में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए कारगिल में साजिश रची और कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। जानकारी होने पर भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया और पाकिस्तानी सैनिकों को मार कर कारगिल की चोटियों पर नियंत्रण हासिल किया। इस साजिश में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह से बेनकाब हुआ और उसकी बदनामी हुई।


बर्बाद हुई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाकई बार जंग के मैदान में शिकस्त खाने के बाद पाकिस्तान को इस बात का अहसास हो गया कि वह सीधे युद्ध में भारत से नहीं जीत सकता। ऐसे में 90 के दशक में उसने आजाद कश्मीर में आतंकवाद का खेल शुरू किया। लेकिन पाकिस्तान के पाले हुए सांप आज उसी को डस रहे हैं। पाकिस्तान ने भारत को तबाह करने के लिए आतंकी तैयार करने की जो नर्सरी शुरू की थी, उस नर्सरी से निकले आतंकी खुद उसकी संप्रभुता के लिए संकट बन गए हैं।

पाकिस्तान मे आए दिन आतंकी हमले होते रहते हैं। अपने बजट का बड़ा हिस्सा विकास के बजाए सेना और हथियारों पर खर्च करने का परिणाम यह हुआ है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है। पुराने कर्ज की किश्त चुकाने के लिए उसे नया कर्ज लेना पड़ रहा है। चीन और सऊदी अरब जैसे देश भी अब पाकिस्तान को कर्ज देने से कतरा रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि कर्ज चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता संदिग्ध है।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages